JANUARY INTERNATIONAL HINDI ASSOCIATION'S NEWSLETTER
जनवरी {{time_now|date:"2006"}}, अंक ४२ । प्रबंध सम्पादक: श्री आलोक मिश्र। सम्पादक: डॉ. शैल जैन
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Human Excellence Depends on Culture. The Soul of Culture is Language
भाषा द्वारा संस्कृति का प्रतिपादन
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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति परिवार के सभी सदस्यों एवं संवाद के पाठकों का अभिनंदन।
नव वर्ष, विश्व हिंदी दिवस, मकर सक्रांति, राष्ट्रीय युवा दिवस, लोहरी और पोंगल की शुभकामनाएं !
साल २०२४, मेरे कार्यकाल का आधा समय कैसे बीता ये पता ही नहीं चला। इस दौरान समिति के द्वारा हिंदी प्रचार -प्रसार और भारतीय संस्कृति की जागरूकता की ओर काफ़ी कार्य किये गये। इस साल के लिये कार्यक्रमों की रूपरेखा भी स्थापित की जा रही है।
मैं हमेशा अपनी स्थानीय, नॉर्थईस्ट ओहायो शाखा की बैठकों में मुस्कान के साथ व्यक्तिगत या आभासी रूप से शामिल होती हूँ। अगर कोई सदस्य देर से आता है, तो उसे उलाहना देने की बजाय, हम समानुभूति (empathy) के साथ उनका स्वागत उत्साह से करते हैं। यह हमारे स्वयंसेवकों और सदस्यों का स्वागत करने का एक शानदार तरीका है। सदस्यों और स्वयंसेवकों को जोड़ने और साथ बनाए रखने के लिए एक जीवंत स्वागत और आनंददायक संगठन से अधिक शक्तिशाली कुछ नहीं है। याद कीजिए कि आपको अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति से किसने जोड़ा था। संभावना है कि यह केवल सेवा परियोजनाएँ, मिशन, या नेटवर्किंग नहीं थी। यह थी हमारी मित्रता, साझा हँसी, और एक सदृश उद्देश्य की ओर काम करने की खुशी। यही हमें बार-बार वापस लाती है और समिति से जोड़े रखती है ।
अगर आप अपनी बैठकों में आनंद की अनुभूति ढूँढ़ रहे हैं, तो अपने और अपने साथी सदस्यों को समिति के क्रिया कलापों में शामिल कीजिए, उनसे प्रश्न पूछने और उनकी राय लेने में संकुचाइये नहीं। वे स्वयं सेवक, जो समिति के सदस्य नहीं हैं और बैठकों में शामिल होते हैं उनसे पूछिये अगर आप एक संभावित सदस्य होते, तो क्या आप अपने वर्तमान शाखा में शामिल होते? यह एक गहन प्रश्न है। उनसे उनकी राय पूछिये। यदि उनकी राय समिति के दिशा निर्देशों के संरेखित (allign) हों तो उनके द्वारा सुझाए विकल्पों का समावेश कीजिये, उनको उनकी महत्ता बताते हुए उन्हें शाखा से जुड़ने के लिए प्रेरित कीजिए।
क्या आपकी शाखा के सदस्य यह महसूस करते हैं कि वे यहाँ का हिस्सा हैं? क्या आपकी बैठकें और साथ मिलकर किए जाने वाले आयोजनों में वे आनंद की अनुभूति महसूस करते हैं? क्या ये आयोजन मज़ेदार होते हैं? क्या हम सभी सदस्यों और स्वयंसेवकों को खास महसूस कराते हैं? अगर नहीं, तो आप सभी मिलकर इसके लिए क्या कर सकते हैं? अपने अगले आयोजन या बैठक में कुछ नया आज़माइए, जो सबको अतिरिक्त मुस्कान दे। ये साधारण चीज़ें ही हैं जो स्थायी बंधन बनाती हैं और शाखाओं को अप्रतिरोध्य बनाती हैं।
अपनी शाखा के लिए नए विचार सोचें और अगर वह सफल हो, तो अपने अनुभव को अन्य शाखाओं के साथ व्हाट्सएप समूह में, और शाखाओं की संयुक्त बैठकों में साझा करें।कोई भी शानदार आयोजन एक उदाहरण बन सकता है। शाखाएं कैसे आनंदमयी रूप से कार्य करते बदलाव ला सकती हैं और साथ ही एकजुट और जागरूक हो व्यापक चुनौतियों का सामना कर सकती हैं ।
जब हम अपने कार्य का आनंद लेते हैं, तो वह ऊर्जा संक्रामक बन जाती है। यही नये सदस्यों को आकर्षित करता है और हमारी शाखाओं को मजबूत बनाए रखता है। लोगों को यह महसूस कराता है कि वे इस परिवार का हिस्सा हैं।
सदस्यों को बनाए रखना और भारतीय संस्कृति की मिलनसारता के गुण की विशेषता एक-दूसरे के पूरक हैं। हमारी समिति की सोच जितनी स्वस्थ होगी, सदस्य उतने ही अधिक समय तक जुड़े रहेंगे। हमारी संस्था के ई-न्यूज़लेटर ‘संवाद’ और त्रैमासिक पत्रिका ‘विश्वा’ भारतीय संस्कृति से और सदस्य जुड़ाव को गहरा करने के लिए प्रेरणा के उत्कृष्ट संसाधन हैं। मैं आप सभी को इनकी कहानियों, चित्रों, साहित्यिक संवादों और कार्यक्रमों का अध्ययन करने और अन्य शाखाओं की सफलता से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित करती हूँ।
आइए, हम मिलकर अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की शाखाओं को और अधिक जुड़ावपूर्ण, आनंददायक, और समावेशी बनाएँ, जिससे हर सदस्य गर्व महसूस कर सके। हम अपने मिशन पर गर्व महसूस करते हुए, नई प्रतिबद्धता और उत्साह के साथ आगे बढ़ें।
अ.हि.स. का द्विवार्षिक कन्वेंशन - समिति का द्विवार्षिक अधिवेशन 2-3 मई, 2025 को नॉर्थईस्ट ओहायो चैप्टर, क्लीवलैंड के पास रिचफील्ड शहर, ओहायो में आयोजित होगा। इस अधिवेशन का मूल विषय है:“नव पीढ़ी, डिजिटल युग में हिंदी और भारतीय संस्कृति।”
आप सबों से अनुरोध है कि कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना सहयोग दें। विस्तृत समाचार पत्रिका के प्रारम्भ में और हमारी वेबसाइट पर देखें।
समिति के लिए यदि आप अपनी सेवा अर्पित करना चाहते हैं तो निःसंकोच हमसे संपर्क करें। आपके विचारों और सुझावों का हमेशा स्वागत है।
धन्यवाद,
शैल जैन
डॉ. शैल जैन
राष्ट्रीय अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति (2024-25)
ईमेल: president@hindi.org | shailj53@hotmail.com
सम्पर्क: +1 330-421-7528
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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति – हिंदी सीखें
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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति -- आगामी कार्यक्रम
२२ वाँ द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन २०२५
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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति का २२ वाँ द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन
दिन -मई २ (शुक्रवार) एवं ३ (शनिवार ) , २०२५
स्थान - रिचफील्ड, ओहायो
आतिथ्य – अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की उत्तरपूर्व ओहायो शाखा
अधिवेशन का मूल विषय – 'नई पीढ़ी, डिजिटल युग में हिंदी और संस्कृति'
Theme -'New Generation, Hindi and Culture in the Digital age'
नोट - अधिवेशन में सारी गतिविधियाँ मूल विषय के लक्ष्य की पूरक रहेंगी ।
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भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश
विश्व हिंदी दिवस २०२५
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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति —विश्व हिंदी दिवस 2025 पर हिंदी भाषण प्रतियोगिता का मान्यता समारोह आयोजन
भारतीय दूतावास, वाशिंगटन डी सी के प्रांगण में
द्वारा: डॉ. शैल जैन, राष्ट्रीय अध्यक्षा, अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति
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विश्व हिंदी दिवस 2025 के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति ने भारतीय दूतावास, वाशिंगटन डीसी के सहयोग से अमेरिका में एक राष्ट्रीय हिंदी भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया। यह प्रतियोगिता अमेरिका के सभी 9वीं से 12वीं कक्षा ( हाई स्कूल )के विद्यार्थियों के लिए आयोजित की गई थी। प्रतियोगिता के विषय थे:
1. अमेरिका में रहने वाले युवा हिंदी क्यों सीखें?
2. भारतीय संस्कृति और परंपराएँ
3. अपने जीवन की किसी घटना पर आधारित लघुकथा
प्रतिभागियों को इन तीन विषयों में से किसी एक का चयन कर हिंदी भाषण वीडियो तैयार कर हमारे सिस्टम में अपलोड करना था।
इस प्रतियोगिता में 28 छात्रों ने अपने हिंदी भाषण का वीडियो जमा किए।
प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में शामिल थे:
• डॉ. राजीव रंजन, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी
• सुश्री कुसुम नापज़ीक, ड्यूक यूनिवर्सिटी
• सुश्री साधना कुमार, अल्बानी, न्यूयॉर्क ( crossroad भाषा विशेषज्ञ)
• सुश्री रश्मि चोपड़ा, ओहायो ( पब्लिक हाई स्कूल शिक्षिका)
चारों जजों ने सभी प्रतिभागियों के वीडियो का मूल्यांकन पूर्व निर्धारित मानदंडों के अनुसार किया। प्रत्येक प्रतिभागी के वीडियो को अलग-अलग स्कोर दिया गया और औसत अंकों के आधार पर विजेताओं का चयन किया गया।
विजेताओं की घोसना जनवरी 10, विश्व हिंदी दिवस के दिन की गई ।
विजेताओं की सूची:
विषय 1: अमेरिका में रहने वाले युवा हिंदी क्यों सीखें? (14 प्रतिभागी, 3 विजेता)
प्रथम स्थान : अंतरा वैश्णवी, 10वीं कक्षा, टेनेसी
द्वितीय स्थान : स्तव्या अग्रवाल, 9वीं कक्षा, टेक्सास
तृतीय स्थान : राधा पारीक, 12वीं कक्षा, ओहायो
विषय 2: भारतीय संस्कृति और परंपराएँ (10 प्रतिभागी, 2 विजेता)
प्रथम स्थान : अवनी रामरक्षानी, 11वीं कक्षा, टेक्सास
द्वितीय स्थान : अनिका वर्मा, 10वीं कक्षा, मेरीलैंड
विषय 3: अपने जीवन की किसी घटना पर आधारित लघुकथा (4 प्रतिभागी, 1 विजेता)
विजेता: आरिनी पारीक, 12वीं कक्षा, इंडियाना
सभी प्रतिभागियों और विजेताओं को हार्दिक बधाई!!!
विजेताओं को सम्मानित करने के लिए भारतीय दूतावास ने 14 जनवरी 2025 (मंगलवार) की शाम 5 - 6 बजे एक विशेष मान्यता समारोह का आयोजन किया।यह कार्यक्रम भारतीय दूतावास, वाशिंगटन डीसी के प्रांगण में हुआ।मंगलवार का दिन होने के बावजूद हमारे दो विजेता अपने अभिभावकों के साथ समारोह में उपस्थित थे । दूतावास की टीम श्री जग मोहन, मंत्री (समुदाय एवं कार्मिक), सुश्री नेहा सिंह , प्रथम सचिव ( प्रेस , सूचना एवं संस्कृति ), श्री रविश कुमार , द्वितीय सचिव ( प्रेस , सूचना एवं संस्कृति ) एवं अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे ।अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति की न्यासी समिति से श्री आलोक मिस्र , श्री तरुण सुरती ( न्यासी अध्यक्ष), डॉ शैल जैन, राष्ट्रीय अध्यक्षा, चौधरी प्रताप सिंह, स्थानीय शाखा अध्यक्ष और स्थानीय समुदाय के लोग इस समारोह में शामिल हुए।
इस कार्यक्रम में दूतावास ने जर्मनटाउन स्थित विश्व हिंदू परिषद (VHP) के बाल विहार हिंदी कक्षाओं के अध्यापक श्री मनीष थौरी और पूर्व में आयोजित कविता प्रतियोगिता के विजेता छात्रों को भी आमंत्रित किया। हम इस विद्यालय के सभी बच्चों और उनके अभिभावकों को हार्दिक बधाई देते हैं।
कार्यक्रम के संचालक श्री रविश कुमार , द्वितीय सचिव थे और इन्होंने सबों को बखूबी जोड़े रखा । शुरुआत में श्री जग मोहन, मंत्री (समुदाय एवं कार्मिक) ने सबों का स्वागत करते हुए अपने विचार भारतीय संस्कृति और हिंदी भाषा के महत्व पर साझा किया ।उसके बाद अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के न्यासी समिति के सदस्य श्री आलोक मिश्र ने बताया कि पिछले ४०-५० सालों में अमेरिका के शहरों में कितने परिवर्तन आये हैं और भारतीय संस्कृति के साथ हिंदी भाषा बहुत आगे बढ़ रही है । लोगों में इनकी मान्यता ज़्यादा हो गई है ।
तत्पश्चात अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की अध्यक्षा डॉ. शैल जैन ने हिंदी भाषण प्रतियोगिता का विस्तृत विवरण उपस्थित लोगों से साझा किया ।उन्होंने अभिभावकों को धन्यवाद दिया जिन्होंने अपने बच्चों को हिंदी भाषण प्रतियोगिता में भाग लेने को प्रोत्साहित किया ।उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों की भागीदारी और उत्साह हमारे समुदाय की सफलता की नींव है। उन्होंने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति का द्विवार्षिक अधिवेशन इस साल २-३ मई, को क्लीवलैंड, ओहायो में आयोजित है । इस अधिवेशन का मूल विषय है:
“नव पीढ़ी, डिजिटल युग में हिंदी और भारतीय संस्कृति।”
इस अधिवेशन को सफल बनाने के लिए उन्होंने उपस्थित सबों को आमंत्रित किया । उन्होंने भारतीय दूतावास को अधिवेशन में भाग लेने और उसमें सहयोग देने के लिए आग्रह और आमंत्रित किया ।
यह कार्यक्रम वाशिंगटन डी.सी. शाखा अध्यक्ष चौधरी प्रताप सिंह जी के प्रयासों से ही संभव हो पाया। वे कई वर्षों से भारतीय दूतावास के साथ स्थानीय कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। इस वर्ष, उन्होंने हमारी समिति के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम शुरू करने की पहल की, जिससे हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार को नई दिशा मिली। उनके समर्पण और नेतृत्व के लिए हम हृदय से आभारी हैं।
कार्यक्रम के अंत मैं श्री जग मोहन और सुश्री नेहा सिंह द्वारा विजेताओं को पुरस्कृत किया गया ।
मान्यता समारोह कार्यक्रम भारतीय दूतावास के प्रांगण में बेहद अद्भुत रहा और सभी उम्र के लोगों के चेहरों पर खुशी और उत्साह साफ नजर आ रही थी । बाद में दूतावास के द्वारा नास्ते का प्रबंध भी था और सभी अतिथि आपस में अपने विचारों का आदान प्रदान कर खुशी- खुशी वापस गये ।
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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति —विश्व हिंदी दिवस 2025 पर
हिंदी भाषण प्रतियोगिता
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सभी प्रतिभागियों और विजेताओं को हार्दिक बधाई!!!
विजेताओं की सूची:
विषय 1: अमेरिका में रहने वाले युवा हिंदी क्यों सीखें? (14 प्रतिभागी, 3 विजेता)
प्रथम स्थान : अंतरा वैश्णवी, 10वीं कक्षा, टेनेसी
द्वितीय स्थान : स्तव्या अग्रवाल, 9वीं कक्षा, टेक्सास
तृतीय स्थान : राधा पारीक, 12वीं कक्षा, ओहायो
विषय 2: भारतीय संस्कृति और परंपराएँ (10 प्रतिभागी, 2 विजेता)
प्रथम स्थान : अवनी रामरक्षानी, 11वीं कक्षा, टेक्सास
द्वितीय स्थान : अनिका वर्मा, 10वीं कक्षा, मेरीलैंड
विषय 3: अपने जीवन की किसी घटना पर आधारित लघुकथा (4 प्रतिभागी, 1 विजेता)
विजेता: आरिनी पारीक, 12वीं कक्षा, इंडियाना
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विषय 1: अमेरिका में रहने वाले युवा हिंदी क्यों सीखें?
(14 प्रतिभागी, 3 विजेता)
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प्रथम स्थान :
अंतरा वैश्णवी,
10वीं कक्षा, टेनेसी
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द्वितीय स्थान :
स्तव्या अग्रवाल,
9वीं कक्षा, टेक्सास
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तृतीय स्थान :
राधा पारीक,
12वीं कक्षा, ओहायो
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विषय 2: भारतीय संस्कृति और परंपराएँ (10 प्रतिभागी, 2 विजेता)
विषय 3: अपने जीवन की किसी घटना पर आधारित लघुकथा
(4 प्रतिभागी, 1 विजेता)
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विषय 2
प्रथम स्थान :
अवनी रामरक्षानी,
11वीं कक्षा, टेक्सास
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विषय 2
द्वितीय स्थान :
अनिका वर्मा,
10वीं कक्षा, मेरीलैंड
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विषय 3
विजेता:
आरिनी पारीक,
12वीं कक्षा, इंडियाना
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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति -- शाखाओं के आगामी कार्यक्रम
ह्यूस्टन शाखा
जनवरी - मार्च , २०२५
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ह्यूस्टन शाखा : पहला तिमाही कार्यक्रम
16 फरवरी, रविवार
गुलज़ार के पन्ने
1 मार्च
मसाला होली
9 मार्च, रविवार
होली के हिंदी बोल
प्रिय अ, हि.स. के सदस्यों और हिंदी प्रेमियों,
हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हम वैलेंटाइन सप्ताह में एक विशेष और अनोखा कार्यक्रम लेकर आ रहे हैं – “गुलज़ार के पन्ने”।यह कार्यक्रम हिंदी कविताओं और फिल्मों के बहुमुखी गीतकार गुलज़ार जी की 6 दशकों से अधिक की रचनात्मक यात्रा पर आधारित है। इस अद्भुत और संगठित प्रस्तुति में ह्यूस्टन के विशेष स्थानीय कलाकार शामिल होंगे।
तिथि: 16 फरवरी, 2025 रविवार
स्थान: दुर्गा बाड़ी
अपने टिकट प्राप्त करने और कार्यक्रम को समर्थन देने के लिए नीचे दिए गए संपर्क सूत्रों पर जायें ।
टिकट के लिए Zelle
Info.ihahouston@gmail.com
धन्यवाद,
संजय सोहनी
अध्यक्ष, IHA ह्यूस्टन
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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति - ह्यूस्टन शाखा रिपोर्ट
‘कविता की शाम’
दिनांक: दिसंबर ६, २०२४
द्वारा: संजय सोहोनी , अध्यक्ष - ह्यूस्टन शाखा
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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की ह्यूस्टन शाखा ने दिसंबर ६, २०२४ के दिन, ‘कविता की शाम’ इस कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का यह तेरहवाँ वर्ष था जिस में नौ कवी-कवियत्रिओं ने अपनी तथा अन्य कवियों की रचना प्रस्तुत करके दर्शकों का मन जीत लिया।
ह्यूस्टन शाखा इस कार्यक्रम द्वारा स्थानीय कलाकारों को मंच उपलब्ध करता आ रहा है, और अब तक पचास से भी अधिक स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रतिभा इस मच से प्रकट करके दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है।
इस वर्ष के विषय थे - प्रेम, प्रकृति, तथा हास्य-व्यंग।
इस वर्ष के कार्यक्रम में सुश्री डॉ. सरिता मेहता, सरिता त्रिपाठी, पूनम भटनागर तथा सर्वश्री कुणाल व्यास, डॉ सुरेश मुन्नत, डॉ संतोष वर्मा, फतेहअली चतुर, अरुण भटनागर तथा सईद पठान जी ने अपनी रचनाएँ सुनाकर दर्शकों का मनोरंजन किया।
श्री कुणाल व्यास जी की रचना - ‘जो फेर लेते है नजर देखते ही एक नजर हमें, वो नजर बिछाए बैठे हे देखने एक नजर हमें’ दर्शकों के दिल को छू गई।
डॉ सुरेश मुन्नत जी ने ‘प्यार का जख्म’ कविता में दिल को छू लेने वाली बातें कुछ ही शब्दों में कह डाली। ‘मोहब्बत की कशिश वो क्या जाने यारों, दिल पर जख्म जिसने न लिया हो यारों’
श्रीमती सरिता त्रिपाठी जी ने प्रसिद्ध कवी गोपालदास सक्सेना, ‘नीरज’ जी की ‘स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से’ रचना सुनाई जो श्रोताओं को अतीत में ले गई, और सारे श्रोता गीत में जुड़ गए।
डॉ सरिता मेहता जी ने हाल में चली विश्व अशांती को समाप्त करने के लिए, अपनी ‘बीज प्यार के बोएं, मोहब्बत भरे दो शब्द, हवा में उछाल दो, गीले-शिकवे, और रंज पल भर में मिट जाएंगे’ रचना द्वारा अमन में शांति स्थापित करने का मन्त्र दिया।
डॉ संतोष वर्मा जी ने अपने बड़े भाई-भाभी द्वारा लिखी दो कविताएं सुनाकर दर्शकों को भाव विभोर कर डाला। उन्होंने ‘मकड़ी का जाल’ इस कविता द्वारा प्रकृति में मकड़ी जिस प्रकार अपना कर्म निभाती है, इसी तरह मानव को भी अपना कर्म करते जाना चाहिए यह सन्देश दिया। उनकी दूसरी कविता, ‘दादी की बैरंग चिठठी’ दादी और बच्चे, पोतों के बिच के रिश्ते उजागर करती है।
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के पूर्वाध्यक्ष श्री स्वपन धैर्यवान जी के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर, फ़तेह अली चतुर जी ने अशोक चक्रधर जी की ‘साठ साल का इंसान, न बूढ़ा होता है ना जवान’ कविता सुना। दर्शकों ने इस कविता का खूब आनंद लिया और सभीं के चेहरे पर मुस्कान छाई रही।
इस के बाद श्रीमती पूनम भटनागर जी ने ‘हमारी प्यारी हिंदी भाषा’ यह कविता सुनाकर दर्शकों में जोश पैदा किया, कविता लिखकर सुनाने का यह उनका पहला प्रयत्न था जो दर्शकों ने तालियाँ बजाकर सहारा।
श्री अरुण भटनागर जो पूनम भटनागर के पति है, जिन्होंने हाल ही में अपने भारत यात्रा दौरान राजधानी देल्ही में जिस प्रदूषित वातावरण का अनुभव किया उसे अपनी हास्य व्यंग में डुबोकर श्रोताओं के सामने प्रस्तुत किया| श्री अरुण जी का प्रदूषण की समस्या जैसा गंभीर विषय हसते खेलते प्रस्तुत करना श्रोताओं को विचार करने पर मजबूर कर गया।
अंत में श्री सईद पठान जी ने रोजमर्रा जीवन की मुसिबतें तथा उनसे झुँझने का तरिका अपने कविता द्वारा श्रोताओं के सामने रखा जिसे उपस्थित श्रोताओं ने तालियों की गुँज द्वारा अपनी पसंदी जताई।
सभी कलाकारों का स्नेह भरी भेंट देकर आभार प्रकट किया गया तथा सामूहिक तस्वीर खींची गई। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, ह्यूस्टन समिति के पूर्व अध्यक्ष श्री स्वपन धैर्यवान, श्रीमती निशा मिरानी, श्री चार्ली पटेल, श्री राजू भावसार, श्री फ़तेह अली चतुर, श्री उमंग मेहता जी, तथा शुभांगी केडिया जी ने काफी योगदान दिया।
कार्यक्रम इंडियन समर नामक रेस्टॉरंट में शाम सात बजे से १० बजे तक संपन्न हुआ जिसमे लगभग पचहत्तर दर्शक उपस्थित रहे. इस कार्यक्रम को कृष्णा साउंड के दर्शक ठक्कर जी ने आवाज प्रदान कर दिलचस्प बनाया। पुरे कार्यक्रम का सूत्र संचालन ह्यूस्टन शाखा के अध्यक्ष श्री संजय सोहनी जी ने बखूबी निभाया।
अगले कार्यक्रम में फिरसे मिलने का वादा करके कार्यक्रम संपन्न हुआ।
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अपनी कलम से
मेरी माँ की स्मृति
लेखक: स्वपन धैर्यवान, IHA ट्रस्टी
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द्वारा - श्री स्वपन धैर्यवान
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श्री स्वपन धैर्यवान, वर्तमान IHA न्यासी , टेक्सास के निवासी हैं। हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति पर सामाजिक और देश सेवा इनका जूनून है। ये अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की ह्यूस्टन शाखा के अध्यक्ष २०१४-१५ और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के अध्यक्ष २०१६-१७ बनकर अपनी सेवायें अर्पित की हैं । वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के न्यासी हैं और अपनी सेवा में सक्रिय हैं।
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मेरी माँ ज्योत्सना रंजन धैर्यवान
(23 अक्टूबर, 1941 – 8 दिसंबर, 2024)
श्रीमती ज्योत्सना रंजन धैर्यवान, 83 वर्ष की आयु , शुगरलैंड निवासी स्वपन धैर्यवान की माता, का 8 दिसंबर, 2024 को पुणे, भारत में निधन हो गया।
उनकी स्मृति में 14 दिसंबर को रिचमंड स्थित वडतालधाम स्वामीनारायण मंदिर में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समुदाय के सदस्यों ने उपस्थित होकर धैर्यवान परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएँ और श्रद्धांजलि व्यक्त की।
अपनी माँ को श्रद्धांजलि देते हुए स्वपन धैर्यवान ने कहा,
“आज हम यहाँ मेरी माँ, ज्योत्सना धैर्यवान, के अद्भुत जीवन का उत्सव मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। मुझे सौभाग्य मिला कि मैं उनके द्वारा सिखाए गए जीवन मूल्यों , शिक्षा, और उनकी मुस्कान को अपने जीवन का हिस्सा बना सका।”
मेरी तरफ़ से माँ को श्रद्धांजलि और मेरी यादें ।
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मम्मा का जन्म मुंबई के गिरगांव में एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। माँ और उनके भाई को गांधीवादी सिद्धांतों – सत्य और अहिंसा – पर पाला गया। बचपन से ही उन्हें नाटक, नृत्य (कथक) और सिनेमा का शौक था। वह हमें यह भी बताती थीं कि कैसे वह और उनकी सबसे करीबी मित्र कुमुद स्कूल छोड़कर शुक्रवार के पहले दिन की मैटिनी और दोपहर के सिनेमा शो देखने जाया करती थीं।
उनका परिवार बहुत ही अनुशासनप्रिय और रूढ़िवादी था, जो सामुदायिक सेवा में गहराई से संलग्न था। उनकी चाची गणित, भूगोल और हिंदी पढ़ाती थीं। उनकी माँ चित्रकला, सिलाई और संगीत सिखाती थीं। वहीं, उनके पिता रेड क्रॉस सोसायटी में प्राथमिक चिकित्सा पढ़ाते थे और मैसोनिक लॉज से भी जुड़े हुए थे।
मम्मा का विवाह 19 वर्ष की उम्र में हुआ। शादी के बाद उन्होंने मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। उनका एक पारंपरिक परिवार से एक बड़े, संपन्न धैर्यवान परिवार में स्थानांतरण हुआ, जहाँ वह परिवार की सबसे छोटी बहू बनीं।
मम्मा एक मस्तमौला, साहसी और मिलनसार व्यक्तित्व की धनी थीं। एक पारंपरिक परिवार में पली-बड़ी होने के बावजूद, उन्होंने एक बिल्कुल विपरीत, आधुनिक दृष्टिकोण वाले परिवार में अपने आप को बड़ी सहजता से ढाल लिया। शुरुआत 15 वर्षों तक उन्होंने अध्यापन किया, लेकिन बाद में उन्होंने अपने अन्य शौक, जैसे कि नाटक, सौंदर्य प्रतियोगिताओं और पर्यटन के क्षेत्र में अपना जुनून खोजा।
मेरे माता-पिता ने पूरे भारत में न केवल घूमने के लिए, बल्कि व्यवसाय के सिलसिले में भी यात्रा की। अपने पेशे के साथ-साथ मम्मा ने लेखन जारी रखा। उनकी डायरी और यात्रा वृतांत इतने विस्तृत और संपूर्ण होते थे कि उन्हें पढ़ना एक खजाना पाने जैसा अनुभव होता है। उनकी आखिरी डायरी प्रविष्टि इस वर्ष अगस्त की है।
उन्होंने कई संगठनों और भाषाई कल्याण कार्यों में भी भाग लिया। वह कई वर्षों तक नेतृत्वकारी भूमिकाओं में रहीं। उनकी मुस्कान और लोगों के साथ रहने का आनंद अद्वितीय था। परिवार के साथ उनके संबंध और दूर-पास के रिश्तेदारों से उनका जुड़ाव जीवन के अंत तक बना रहा।
मुंबई के अपने संयुक्त परिवार में, जिसमें 40 से अधिक लोग रहते थे, उन्होंने मुझे और मेरे भाई को सम्मान, समझौते और सेवा के मूल्य सिखाए।
अपने बचपन की यादों और अनुभवों को याद करते हुए, मैं उन्हें एक ऐसे फरिश्ते के रूप में देखता हूँ, जिन्होंने मुझे हमेशा प्रोत्साहन दिया, असफलताओं में सांत्वना दी, और मेरी शैक्षणिक और सामाजिक सफलता पर गर्व महसूस किया।
समुदाय में उनके सामाजिक कार्य को 2014 में मान्यता मिली, और उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। मम्मा ने एक शानदार जीवन जिया। वह प्रेम और ऊर्जा की मिसाल थीं। उनकी हर बातचीत “खुद पर ज्यादा जोर मत डालो” के शब्दों के साथ समाप्त होती थी।
इस साल पहली बार मेरे जीवन में ऐसा हुआ कि उन्होंने मेरे जन्मदिन पर मुझे फोन नहीं किया। 5 दिसंबर को, मैंने कई बार उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन समय क्षेत्र और नर्सों की उपलब्धता के कारण उनसे संपर्क नहीं हो पाया। मैंने उनकी आँखों में शुभकामनाएँ देखीं, लेकिन शब्द और आत्मा कमजोर हो चुके थे।
तीन दिन बाद, वह हमें छोड़कर चली गईं। जीवन कहीं रुकता नहीं। उन्होंने हमें सिखाया कि अगला कदम उठाओ और जीवन को आगे बढ़ाओ।
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अपनी कवितायेँ / गजल
"कविता - बढ़े चलें..."
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द्वारा - डॉ. उमेश प्रताप वत्स
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डॉ. उमेश प्रताप वत्स यमुनानगर, हरियाणा के निवासी हैं। लेखक के साथ-साथ एक अच्छे खिलाड़ी भी हैं। 2004 में अखिल भारतीय कुश्ती प्रतियोगिता में 63 किलो भार वर्ग में राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्णपदक प्राप्त कर चुके हैं। इनको बाँसुरी वादन का भी शौक है।
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- बढ़े चलें...
दीप से दीप जलाकर हम सब, तिमिर हटाकर बढ़े चलें।
जटिल विडम्बना कितना रोके, पार करें और बढ़े चलें।
सरल नहीं है लक्ष्य अपना, कंटक मार्ग पर चलना,
आगे-आगे बढ़ते जाये और, बाती के जैसे जलना,
लक्ष्य पूर्ण हो जाएगा, एक-एक पग बढ़े चले
जटिल विडम्बना कितना रोके, पार करें और बढ़े चलें।
गिरिजन निर्धन सबको लेकर, स्वप्न को पंख लगाना है
जाति-पंथ के भेद भुलाकर, सबको साथ में लाना है
आदर्शों के पथ पर चलकर, व्यक्ति समाज को गढ़े चले।
जटिल विडम्बना कितना रोके, पार करें और बढ़े चलें।
घात लगाकर बैठे द्रोही, परवाह उनकी करनी क्यों?
घर के भेदी देश के दुश्मन, जितने भी हो डरना क्यों?
सात्विक जन को साथ में लेकर, शनैः-शनैः हम बढे़ चलें।
जटिल विडम्बना कितना रोके, पार करें और बढ़े चलें।
समृद्ध इतिहास की शक्ति लेकर, हिन्दु गौरव गान करें।
शिवा-प्रताप से महापुरुषों का, हृदय से सम्मान करें।
सावरकर से चिन्तक बनकर, जागृत होकर बढ़े चलें।
जटिल विडम्बना कितना रोके, पार करें और बढ़े चलें।
मान-सम्मान से ऊपर उठकर, सजग प्रहरी बनना है।
पद लोलुपता रोक न पायें, निस्वार्थ हो बढ़ना हैं।
एक ही लक्ष्य राष्ट्र उत्थान का, लेकर हम सब बढ़े चलें।
जटिल विडम्बना कितना रोके, पार करें और बढ़े चलें।
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अपनी कवितायेँ / गजल
" परिंदा हूँ"
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द्वारा - श्री गोलेन्द्र पटेल
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श्री गोलेन्द्र पटेल को कविता, नवगीत, कहानी, निबंध, नाटक, उपन्यास व आलोचना लिखने में रूचि रखते हैं। इन्होने बी.ए. (हिंदी प्रतिष्ठा) व एम.ए., बी.एच.यू., हिन्दी से नेट की शिक्षा ली हैं। इन्हें कई सम्मान एवं पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
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परिंदा हूँ
प्रकृति कितनी सुंदर कृति है!
चीड़ पर चाँद उगा है
उसकी आँखों में सूरज की स्मृति है
वह मुझसे संवादरत है
कि धरती आसमान से कह रही है,
अंधी आधुनिकता परिंदों का अमनचैन छीन रही है
हरियाली गायब हो रही है
यह विरोध की प्रतिध्वनियों के पुनरुत्थान का समय है
मैं बनवासी नहीं हूँ
पर, आदिवासी अस्मिता पर कुछ कहने का साहस करता हूँ
न मैंने एकलव्य को देखा है
न मैंने तिलका माँझी को देखा है
न मैंने बिरसा मुंडा को देखा है
पर, मैंने देखा है
पहाड़ के आँसू को नदी में रेंगते हुए
मैंने देखा है
उस पगडंडी की पत्थलगड़ी को
जिस पर लिखा था कि आदिवासी होने का अर्थ
आदमी होना है
मैंने देखा है
हरी दूब को उम्मीद का रूपक होते हुए
मैंने देखा है
माँ को महुआ बीनते हुए
मैंने देखा है
एक चूल्हे की आग से कई चूल्हों को सुलगते हुए
मैंने देखा है
धुएँ को समाचार होते हुए
मैं एक परिंदा हूँ
पर, मैं यह कतई नहीं कहूँगा
कि मुझे पेड़ों की जड़ें नहीं,
उनकी जटाएँ
पसंद हैं
कि जंगल के जलने से जनतंत्र दुखी है!
मेरी माँ एक आदिवासिन हैं
मैंने उनसे जाना है
कि सभ्यता के विकास में संस्कृति की भूमि का बंजर होना
उनकी भाषा का गिरना है
जो बीज बोना नहीं जानते!
मैंने अँधेरे से जाना है
कि सड़क के गीतों से संसद डरती है
मैंने उजाले से जाना है
कि मानवीय संवेदना की खेती
कलम से नहीं, कुदाल से की जाती है
ओ स्वर!
गाँव की कुल्हाड़ी चल रही है
सूखी लकड़ी पर नहीं,
जन विमुख व्यवस्था पर
जहाँ से
आया हूँ अभी-अभी शहर
मुझे उस जगह की याद आ रही है
मैं तुम्हें कैसे बताऊँ
कि देश खेतों की वजह से ज़िंदा है
कि गाँव का सच शहर को नंगा कर देता है
कि इस युग कथा का नायक एक संघर्षरत परिंदा है
जो मेरा प्रतिरूप है
मैं फूलों के रंग से परिचित हूँ
मेरे लिखे में
झील और झाड़ी की आवाज़
शामिल है
इससे अधिक क्या कहूँ
कि यहाँ पूरी आत्मकथा कहना मुश्किल है!
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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति एवं सभी हिंदी प्रेमियों की ओर से
भावभीनी एवं विनम्र श्रद्धांजलि
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डॉ. मनमोहन सिंह
(26 सितम्बर 1932 –26 दिसम्बर 2024) भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं प्रख्यात अर्थशास्त्री, डॉ. मनमोहन सिंह जी का निधन भारत एवं राजनितिक जगत के लिए बड़ी क्षति है| अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, उनके परिवार और अनगिनत प्रियजनों के प्रति गहरी संवेदना एवं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है|
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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति एवं सभी हिंदी प्रेमियों की ओर से
भावभीनी एवं विनम्र श्रद्धांजलि
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प्रोफेसर यशवंत सिंह
(17 सितंबर, 1930 - 17 दिसंबर, 2024) प्रोफेसर यशवंत सिंह, श्री वीरेश सिंह, अ.हि.स. के फिलाडेल्फिया शाखा के वर्तमान अध्यक्ष के पिता थे ।उन्होंने अपना पार्थव शरीर 17 दिसम्बर 2024 को फिलाडेल्फिया, अमेरिका में त्याग दिया ।कृषि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके शोध, योगदान और उनकी शिक्षाओं को हमेशा याद किया जाएगा I
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